गुरुवार, 29 जून 2017

रूठे

दूसरे कोई रूठ जाते है तो हम उसे मना सकते है
पर हम खुद  से रूठ  जाए तो मनाना मुश्किल हैं...

-अमित चन्द्रवंशी 'सुपा'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें