नाखुशी को भूल, डगर देखते इतिबार करते बैठा था। बदला वक़्त जमाने के साथ, मेरा जख्म ताजा था।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
इत्तिहाम को क़ुबूल अजीम बन गया, जुस्तजू न हो खुद कुर्बान हो गया। -अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
#इत्तिहाम=दोष #अजीम=महान #जुस्तजू=तलाश